आप सभी की दुआओं से आपके आमदार के रूप में मैंने अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए पांच साल पूरे कर लिए है। बीते पांच सालों के बारे में आपसे मुझे कुछ कहना है। आप सभी के सामने मुझे अपने दिल की बात रखनी है।
जब मैं आमदार बना तब सभी लोगों के मन में बस एक ही बात थी कि ‘सब आमदार एक जैसे होते है’। पर मैंने इस सोच को बदलने की चुनौती स्वीकारी। खुदसे एक वादा किया और फैसला किया कि आपके विधानसभा क्षेत्र का चेहरा बदलने के लिए पहले अपनी जानकारियों को, अपने ज्ञान को तेज धार दी। मुंबई विद्यापीठ से ‘महाराष्ट्र के सामाजिक और धार्मिक आंदोलन’ इस विषय पर शोध पत्र पेशकर डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। इसके पीछे मकसद सिर्फ डॉक्टरेट की पदवी हासिल करना नहीं बल्कि असली मुद्दा था कि उस ज्ञान को मैं अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों की भलाई में कैसे इस्तेमाल कर सकता हू? सामाजिक आंदोलनों में बड़ी ताकत होती है। क्लस्टर डेवलपमेंट का मुद्दा सबसे पहले मैंने उठाया और फिर हाथ पर हाथ धरे बैठा नहीं रहा। उसे एक आंदोलन का रूप दिया। सत्ता में अपनी सरकार होने के बावजूद लाखों लोगों का विशाल मोर्चा मंत्रालय की ओर ले गया। इच्छाशक्ति और जनशक्ति एकजुट हुई, जिसकी तारीफ खुद मुख्यमंत्रीजी ने भी की।
वैसे मैं एक आम मिडिल क्लास परिवार से हूं। पर आप सभी की दुआओं से मैं आमदार बना… माननीय शरदचन्द्रजी पवार साहब ने तो मुझे महाराष्ट्र प्रदेश कार्याध्यक्ष तथा महाराष्ट्र शासन में कैबिनेट मंत्री पद की बड़ी जिम्मेदारी से नवाज़ा। यह सब कुछ बस आपकी वजह से मुमकिन हो पाया है और इस बात का मुझे पूरा एहसास है। इतनी ऊँची उड़ान भरने की ताकत आपके विश्वास ने ही दी है। कुछ कार्यकर्ता जब पूंछते है कि, ‘साहब, दिन-रात, चौबीसों घंटे काम करने की एनर्जी आपमें कहां से आती है?’ तो मैं उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाकर पूरे मुंब्रा – कलवा का चक्कर लगाकर आता हूं। राह में मुझे अनगिनत भाई-बंधु इतने भरोसे और अपनेपन के साथ मिलते है, बात करते है मानों खून का रिश्ता हो। बात करते समय उनकी आँखों में जो भाव आते हैं दरअसल वही मेरी असली ताकत हैं।
आप लोगों ने जिम्मेदारियां इसलिए दी हैं क्योंकि आपको लगता है कि मेरे कंधों में उनका भार उठाने की ताकत है। आपको लगता है कि मै आपकी मांगों को सभागृह में पूरी शिद्दत के साथ रख सकूंगा, अगर वे पूरी न हुईं तो उनके लिए जी-जान से लड़ूंगा, आंदोलन करूँगा। आपको लगता है कि मै इंसानियत को तवज्जो देते हुए, जाति-मजहब से परे फैसले करूँगा। जब इतनी सारी उम्मीदें मुझसे हों, तो भला मैं चुप कैसे बैठ सकता हू। मैं भी अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए चौबीसों घंटे लगातार काम करता रहा।
आप सभी जानते है कि पांच साल पहले मुंब्रा – कौसा और रेतीबंदर के हालात क्या थे। मुंब्रा को लेकर लोगों का नज़रियां नकारात्मक था। मुंब्रा की इस छवि को बदलने की मैंने ठानी। आज मुंब्रा – कौसा और रेतीबंदर की तस्वीर बदलने में हमें कामयाबी मिली है। ठाणे मनपा क्षेत्र का अहम हिस्सा होने के बावजूद मुंब्रा सौतेलेपन का शिकार था। मुंब्रा की पहचान मुंब्रा रेल्वे स्टेशन परिसर को सुधारने का मैंने संकल्प लिया और आप लोगों के सहयोग से आज मुंब्रा रेल्वे स्टेशन परिसर का सुंदरीकरण हो गया है। यहाँ से रिक्शा, एसटी, टीएमटी बसों की उत्तम सुविधा हुई है। यह करते हुए वहां काम धंधा करनेवाले लोगों को विश्वास में लेकर पुल के नीचे मैंने उनका पुनर्वसन किया। आज मुंब्रा रेल्वे स्टेशन परिसर जगमगा रहा है।
मुंब्रा – कौसा में हॉकर्स प्लाजा का निर्माण, मुस्लिम, क्रिश्चियन कब्रिस्तान और हिन्दू शमशान भूमि के लिए पांच एकड़ भूखंड उपलब्ध कराया। पानी ज़िन्दगी की अहम जरूरत है। २५ साल पुराने पानी वितरण के सिस्टम और बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए मैंने रु. १३० करोड़ की पानी आपूर्ति योजना की मंजूरी ली ताकि भविष्य में पानी के लिए मुंब्रा – कौसा के लोगों को परेशान न होना पड़े। बिजली की समस्या को लेकर हमेशा परेशान रहनेवाले नागरिकों को भारी लोड शेडिंग का सामना करना पड़ता था। वह लोड शेडिंग अब जीरो पर आ गई है। बिजली वितरण की समस्या को सुलझाने के लिए रु. ९५ करोड़ की व्यवस्था कराई। अब तो यह काम भी अंतिम चरण में है। सडकों की समस्या से ग्रस्त मुंब्रा – कौसा में एक साथ १०० सडकों के कॉंक्रीटीकरण के काम को मंजूरी ली। मुंब्रा – कौसा में सांस्कृतिक भवन को मंजूरी ली। तथा भव्य स्टेडियम के निर्माण कार्य को अंतिम चरण तक पंहुचाया। अपने क्षेत्र के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ सुविधा के लिए १०० बेड के अत्याधुनिक अस्पताल के निर्माण को मंजूरी ली। नए शौचालय, गार्डन, प्रवेश द्वार, समाज मंदिर, कार्डिएक एम्बुलन्स, बकरा मंडी, आदि अनेक नागरिक कार्य लगातार शुरू रहें। मुंब्रा वासियों को अनेक बार बिल्डिंगों के गिरने का दर्द झेलना पड़ा है। ऐसी ही एक दुर्घटना में लोगों की मदद करते हुए एक नौजवान का हाथ जख्मी हो गया। नौबत हाथ काटने तक की आ गई थी। मैंने फैसला किया कि इस नौजवान के हाथ को बचाने के लिए पूरा प्रयास करूँगा। लोगों की मदद के लिए उठानेवाले इस हाथ को बेकार जाने नहीं दूंगा। मैंने कोशिश की और उसका हाथ सलामत बच गया। इससे उसके हाथों को ही नहीं बल्कि मेरे हाथों को भी बल मिला।
आपके भी मन में ये इच्छा थी कि मुंब्रा – कौसा की तस्वीर बदलें। आपके सहयोग की शक्ति को लेकर मैंने पूरी इच्छाशक्ति के साथ काम किया। आज मुंब्रा की सोच बदल गई है। यहाँ के विकास संबंधी कामों को करते हुए मैंने कभी भी जात-पात और मजहब के बंधन को बीच में नहीं आने दिया। अगर इसी तरह मिलजुलकर काम चलता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब मुंब्रा – कौसा नंबर वन बन जाएगा।
स्कूली दिनों में अक्सर मैं सोचा करता था कि जब मैं गणित का एक सवाल हल कर देता हूं, तो दूसरा सवाल हाज़िर हो जाता है, उसे हल कर देता हूं, तो पीछे-पीछे तीसरा भी आ जाता है। यानी सवालों का सिलसिला लगातार चलता रहता है, व कभी ख़त्म नहीं होता। ऐसे में आपके सामने दो ही रास्तें होते है। या तो सवाल को सुलझाओ ही मत ताकि दूसरे सवाल का सामना न करना पड़े और दूसरा रास्ता हैं कि एक सवाल सुलझाने के बाद दूसरे सवाल को सुलझाने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो जाओ। मैंने दूसरा रास्ता चुना। अब तो मुझे सवालों, मसलों को सुलझाने की एक आदत सी बन गई है।
आमदार पद को ही मैं अपना धर्म समझकर हर मजहब के लोगों के बीच जाकर उनका काम करता हूं। मेरा ओहदा कोई मायने नहीं रखता, मेरा नाम कोई मायने नहीं रखता। अगर कुछ मायने रखता है, तो वो है मेरा काम। मैं वादे नहीं करता, मैं पहले करता हूं फिर कहता हूं। इसीलिए आप एक बार मेरे द्वारा किए कामों पर एक नज़र ज़रूर डालें। इन कामों को मैंने अकेले नहीं बल्कि आप लोगों की मदद से किया है और जब तक जान है आगे भी करता रहूँगा। आमदार से पहले मैं एक एथलीट हूं। एक एथलीट की तरह हर बाधा को लांघते हुए मेरी नज़र बस मंज़िल पर होती है। एक चुनौती ख़त्म हुई नहीं कि दूसरी का सामना करने के लिए तैयार हो जाता हूं। मेरे विधानसभा क्षेत्र का “हर व्यक्ति मेरा खुदा है, मेरा भगवान है और इंसानियत ही मेरा मजहब”। मैंने किसी के घर-संसार को रस्ते पर आने नहीं दिया और दूंगा भी नहीं। किसी के घर में अंधेरा राज करे यह भी मुझे मंजूर नहीं। कई महिलाएं नौकरी करती है। वे अपने बच्चोंको पालनाघर में रखती है। जिन्हे शाम को लेने के लिए अपने बच्चों के पास जल्दी पहुंचना होता है। तो अपने बच्चों तक आपको जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए गड्ढों और ट्रैफ़िक से मुक्त रास्ते देना मेरी जिम्मेदारी है। कहते है न कि पक्षी भले ही आकाश में कितना ही ऊँचा क्यों न उड़े, उसका मन हमेशा घोंसलों में अपने बच्चों पर लगा रहता है। मेरी हालत भी उस पक्षी जैसी ही है। मैं चाहे जहां भी रहूं, जिस ओहदे पर भी रहूं, मेरा सारा ध्यान अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों की भलाई और इंसानियत पर ही लगा रहेगा और ऐसा मैं अपनी जिंदगी की आखिरी सांस तक करता रहूँगा।
जब आप सब हो संग मेरे,
तो मुझे किस बात का डर।
हर मंज़िल छू लूंगा,
मुश्किल चाहे जितनी हो डगर।